बोध कथा | Bodh Katha | Wisdom Story In Hindi
बोध कथा (Bodh Katha, Wisdom Story In Hindi) – अंतर्दृष्टि लिए प्रज्ञावान बोधकथाएँ, बोधप्रद कहानियाँ, बोधगम्य प्रसंग, बुद्धिमता की कहानियाँ और अक्लमंदी के किस्से
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बोझ
ज़्यादातर बोझ जिन्हें हम ढोते रहते हैं, वे बोझ मन के होते हैं|
दो बौद्ध भिक्षुओं की कहानी|
वृद्ध भिक्षु ने असहाय लड़की की मदद तो की, पर उसे वहीं छोड़ आया...
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मछली की ख़ुशी
चीनी दार्शनिक झुआन्गज़ी जानता था कि मछली की ख़ुशी किसमें है, लेकिन हुईज़ी ने ले लिया पंगा|
जोश के गोल जवाब सुनकर रोष को याद हो आया उनका किस्सा|
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मसाला चाय
स्वादिष्ट मसाला चाय कैसे बनाते हैं?
मेहमानों को चाय पूछने की संस्कृति के साथ-साथ ईशा होश को देती है रेसिपी पारम्परिक मसालेदार भारतीय चाय बनाने की|
हेल्थ टिप्स और कुकिंग टिप्स पर बोधकथा
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महानता की झलक
महानता की झलक सिर्फ प्राचीन अवतारों और प्रसिद्ध नेताओं में ही नहीं, बल्कि हमारे चारों तरफ देखी जा सकती है|
आवश्यकता और अवसर आम लोगों को हीरो बना देते हैं|
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महाभारत और भारत
महाभारत और आधुनिक भारत के पात्रों की तुलना|
दुर्योधन और राहुल गाँधी, अर्जुन और नरेन्द्र मोदी, कर्ण और मनमोहन सिंह, शकुनि और केजरीवाल, ध्रतराष्ट्र और सोनिया, भीष्म और आडवाणी, कृष्ण और अब्दुल कलाम, महात्मा गाँधी, चाणक्य आदि
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महिला तर्क
मज़ेदार कहानी: महिला तर्क
तर्क तर्क है, पर मादा तर्क - तर्क से भी सूक्ष्म है! महिलाओं के अलावा, हर किसी की समझ से परे|
ये पुनरुक्त चुटकुले सबूत हैं...
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माँ कैसी होती है?
मर्मस्पर्शी कहानी: माँ कैसी होती है?
सहारनपुर कवि प्रो.योगेश छिब्बर की मुक्तिका ‘अम्मा’ से मिलती है माँ की एक झलक...
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माँ-बाप का कर्ज़
बोधकथा: माँ-बाप का कर्ज़
क्या ये कभी चुकाया नहीं जा सकता?
कैसा है ये पितृ-ऋण, जो आम आदमी माता-पिता की सच्ची सेवा से भी चुका नहीं पाता?
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मार्केटिंग बनी आसान
बिज़नेस मैनेजमेंट पढ़ते सी.के. और सनी के लिए, मार्केटिंग बनी आसान, जब उन्हें अपने सहपाठी रोष से मिले ऐसे मज़ेदार उदाहरण:
तुम्हें पार्टी में एक खूबसूरत लड़की दिखाई देती है| तुम उसे कहते हो, “मैं बहुत अमीर हूँ| मुझसे शादी कर लो!”
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मिल गए बोतल वाले
मज़ेदार कहानी: मिल गए बोतल वाले
नशा बुरा है, तो बुरे सभी हैं| नशे में कौन नहीं है, मुझे बताओ ज़रा| किसे है होश, मेरे सामने तो लाओ ज़रा|
रोष, इन्दर, मुकेश, इंजीनियरिंग कॉलेज व हॉस्टल के किस्से
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मेरी मेहनत का फल
मेरी मेहनत का फल मुझे लाभ क्यों न दे?
कर्मचारी उद्देश्य, प्रशंसा और आर्थिक प्रोत्साहन से प्रेरित होते हैं|
कार्यकर्ता प्रेरणा पर बोधकथा
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मैं खुशी चाहता हूँ
“मैं खुशी चाहता हूँ,” एक आदमी ने कभी बुद्ध से कहा था|
चाइना पीक से नैनीताल को निहारते रोष को, बुद्ध दे जाते हैं खुशी और सुकून के राज़|
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ये भी रहेगा नहीं
बोधकथा: ये भी रहेगा नहीं
शाकिर ने फकीर को सिखा दिया कि इंसान के वक़्त का उसकी नेकी बदी से कोई लेना देना नहीं|
वक़्त का काम है बदलना|
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रेत के किले
रेत के किले बनाते बालकों को लहरें सिखा देती हैं जल्दी, कि किले बनाना आसान है, बनाकर उन्हें बचाए रखना मुश्किल|
बड़े होने पर ये भूल क्यों जाते हैं हम?
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रोटी की खोज
रोटी की खोज में भागी फिरती है दुनिया, गुरदास मान अपनी सुन्दर पंजाबी कविता ‘रोटी मगर’ में गाते हैं, लेकिन फिर भी सलीके से जिया जा सकता है|
कैसे?
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लाइन में लग
मज़ेदार कहानी: लाइन में लग
जीवन को पूर्णता की नहीं, प्रेम की ज़रूरत है|
प्रेम सही व्यक्ति मिलने से नहीं, मिले व्यक्ति को सही से समझने से उपजता है|
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लियो टॉलस्टॉय
लियो टॉलस्टॉय ने गाँधी को प्रभावित कर भारत के अहिंसक प्रतिरोध आंदोलन को दिशा दी|
उपन्यास ‘वार एंड पीस’ (युद्ध और शांति) के रूसी लेखक, दार्शनिक और राजनीतिक विचारक काउंट लेव निकोलायेविच तालस्तोय...
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वफादार बीवी
मज़ेदार कहानी: वफादार बीवी
चुटकुला एक कंजूस के बारे में, जो मर कर अपनी सारी दौलत के साथ दफ़न होना चाहता था, पर अपनी चतुर पत्नी से मात खा गया|
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शराब पीने दे मस्जिद में
बोध कथा: शराब पीने दे मस्जिद में
कहाँ बैठ कर पी जाये शराब?
इसपर ग़ालिब, मीर, इकबाल, फराज़ और वसी की उर्दू शायरी लिए एक मज़ेदार कहानी
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शून्यता
क्या है शून्यता?
दिलचस्प ये है कि निशब्द को समझने-समझाने के लिए भी शब्दों की ज़रूरत पड़ रही है| कैसी प्रोग्रामिंग हो गयी है हमारी?
एक काव्यात्मक बोधकथा...
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