रोष की कहानी | Rosh Ki Kahani | Rosh Story In Hindi
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पैसे वसूल
परिवार सहित बफ़े खाने गया रोष पैसे वसूल करने के चक्कर में था|
डर भी था कि ज़्यादा खा लिया तो लेने के देने पड़ जायेंगे...
मज़ेदार कहानी का आखिरी हिस्सा|
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प्रभु के प्यारे
ज्ञानवर्धक कहानी: प्रभु के प्यारे
2017-18 में प्रभु को प्यारे हुए प्रभावशाली विश्व नेताओं, मशहूर हिंदी फिल्मी हस्तियों व भारतीय राजनेताओं पर विनोदी कथा
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फूटा पात्र
फूटा पात्र भी उपयोगी हो सकता है|
हम सब फूटे घड़े हैं, फिर भी उपयोगी होने का प्रयास कर सकते हैं।
आदर्श पात्र न बन पाने पर भी हमारे होने का औचित्य है|
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बोझ
ज़्यादातर बोझ जिन्हें हम ढोते रहते हैं, वे बोझ मन के होते हैं|
दो बौद्ध भिक्षुओं की कहानी|
वृद्ध भिक्षु ने असहाय लड़की की मदद तो की, पर उसे वहीं छोड़ आया...
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मछली की ख़ुशी
चीनी दार्शनिक झुआन्गज़ी जानता था कि मछली की ख़ुशी किसमें है, लेकिन हुईज़ी ने ले लिया पंगा|
जोश के गोल जवाब सुनकर रोष को याद हो आया उनका किस्सा|
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महानता की झलक
महानता की झलक सिर्फ प्राचीन अवतारों और प्रसिद्ध नेताओं में ही नहीं, बल्कि हमारे चारों तरफ देखी जा सकती है|
आवश्यकता और अवसर आम लोगों को हीरो बना देते हैं|
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महाभारत और भारत
महाभारत और आधुनिक भारत के पात्रों की तुलना|
दुर्योधन और राहुल गाँधी, अर्जुन और नरेन्द्र मोदी, कर्ण और मनमोहन सिंह, शकुनि और केजरीवाल, ध्रतराष्ट्र और सोनिया, भीष्म और आडवाणी, कृष्ण और अब्दुल कलाम, महात्मा गाँधी, चाणक्य आदि
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महिला तर्क
मज़ेदार कहानी: महिला तर्क
तर्क तर्क है, पर मादा तर्क - तर्क से भी सूक्ष्म है! महिलाओं के अलावा, हर किसी की समझ से परे|
ये पुनरुक्त चुटकुले सबूत हैं...
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माँ कैसी होती है?
मर्मस्पर्शी कहानी: माँ कैसी होती है?
सहारनपुर कवि प्रो.योगेश छिब्बर की मुक्तिका ‘अम्मा’ से मिलती है माँ की एक झलक...
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माँ-बाप का कर्ज़
बोधकथा: माँ-बाप का कर्ज़
क्या ये कभी चुकाया नहीं जा सकता?
कैसा है ये पितृ-ऋण, जो आम आदमी माता-पिता की सच्ची सेवा से भी चुका नहीं पाता?
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मार्केटिंग बनी आसान
बिज़नेस मैनेजमेंट पढ़ते सी.के. और सनी के लिए, मार्केटिंग बनी आसान, जब उन्हें अपने सहपाठी रोष से मिले ऐसे मज़ेदार उदाहरण:
तुम्हें पार्टी में एक खूबसूरत लड़की दिखाई देती है| तुम उसे कहते हो, “मैं बहुत अमीर हूँ| मुझसे शादी कर लो!”
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मिल गए बोतल वाले
मज़ेदार कहानी: मिल गए बोतल वाले
नशा बुरा है, तो बुरे सभी हैं| नशे में कौन नहीं है, मुझे बताओ ज़रा| किसे है होश, मेरे सामने तो लाओ ज़रा|
रोष, इन्दर, मुकेश, इंजीनियरिंग कॉलेज व हॉस्टल के किस्से
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मेरी मेहनत का फल
मेरी मेहनत का फल मुझे लाभ क्यों न दे?
कर्मचारी उद्देश्य, प्रशंसा और आर्थिक प्रोत्साहन से प्रेरित होते हैं|
कार्यकर्ता प्रेरणा पर बोधकथा
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मैं खुशी चाहता हूँ
“मैं खुशी चाहता हूँ,” एक आदमी ने कभी बुद्ध से कहा था|
चाइना पीक से नैनीताल को निहारते रोष को, बुद्ध दे जाते हैं खुशी और सुकून के राज़|
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ये भी रहेगा नहीं
बोधकथा: ये भी रहेगा नहीं
शाकिर ने फकीर को सिखा दिया कि इंसान के वक़्त का उसकी नेकी बदी से कोई लेना देना नहीं|
वक़्त का काम है बदलना|
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रेत के किले
रेत के किले बनाते बालकों को लहरें सिखा देती हैं जल्दी, कि किले बनाना आसान है, बनाकर उन्हें बचाए रखना मुश्किल|
बड़े होने पर ये भूल क्यों जाते हैं हम?
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रोटी की खोज
रोटी की खोज में भागी फिरती है दुनिया, गुरदास मान अपनी सुन्दर पंजाबी कविता ‘रोटी मगर’ में गाते हैं, लेकिन फिर भी सलीके से जिया जा सकता है|
कैसे?
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लाइन में लग
मज़ेदार कहानी: लाइन में लग
जीवन को पूर्णता की नहीं, प्रेम की ज़रूरत है|
प्रेम सही व्यक्ति मिलने से नहीं, मिले व्यक्ति को सही से समझने से उपजता है|
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लियो टॉलस्टॉय
लियो टॉलस्टॉय ने गाँधी को प्रभावित कर भारत के अहिंसक प्रतिरोध आंदोलन को दिशा दी|
उपन्यास ‘वार एंड पीस’ (युद्ध और शांति) के रूसी लेखक, दार्शनिक और राजनीतिक विचारक काउंट लेव निकोलायेविच तालस्तोय...
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विदूषक की वापसी
मज़ेदार कहानी: विदूषक की वापसी
हाथी के चुटकुलों वाली हास्य कथा|
हाथी के बारे में होश की जिज्ञासाओं का जवाब हाथी के लतीफे सुनाकर देता है रोष|
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