आध्यात्मिक कथाएँ | Adhyatmik Kathaen | Spiritual Stories In Hindi
आध्यात्मिक कथाएँ | Adhyatmik Kathaen | Spiritual Stories In Hindi
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अली बाबा और 40 डाकू 20
पुनरुक्त अरेबियन नाइट्स किस्से: अली बाबा और 40 डाकू 20
उसका दर्द क्रोध में बदल गया|
क्रोध घृणा बन गया| घृणा ने उसे जीने का मकसद दे दिया|
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कोई दोस्त है न रकीब
बोधकथा: कोई दोस्त है न रकीब है
- जगजीत सिंह की गाई, राणा सहरी की गज़ल के तर्जुमा के साथ, और
- सचिन लिमये की गाई ‘न सुबूत है’ के अनुवाद व मतलब के साथ
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गुस्सैल बुद्ध
बालकथा: गुस्सैल बुद्ध
वियतनामी ज़ेन मास्टर थिच नहत हन कहते हैं कि गुस्सा सचेतनता से काबू आता है कोरी लफ्फाज़ी से नहीं।
थिच न्हात हान की बौद्ध कहानी
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जागृति
बोधकथा: जागृति
जागती वाईताकरे पर्वतमाला को देखता, होश सोचता है कि क्या ये प्यार नहीं जो हमें शान्ति दिलाता है, अपने आस-पास बिखरे अजूबे दिखाता है?
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जीवन व्यर्थ
यदि मंज़िल पाए बिना जाना, जीवन व्यर्थ हो जाना है, तो ध्येय पाकर जाना भी तो जाना ही है|
क्या जीवन के कर्म-चेष्टा, रेत के घरौंदे बनाने जैसे हैं बस?
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दुनिया से क्या यारी?
हमन की दुनिया से क्या यारी, कबीर सिखाते हैं, हमन हैं इश्क मस्ताना|
बेड़ा पार तो इश्क ही करायेगा, पर राह नाज़ुक है ज़िन्दगी की|
तो कैसे चलें?
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नेक सामरी
आध्यात्मिक कहानी: नेक सामरी
अच्छा बनने में खतरा है| तो इस पुनरुक्त ईसाई दृष्टांत में यीशु का सन्देश क्या था?
हमारे जीवन में धर्म का क्या उद्देश्य है?
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माँ-बाप का कर्ज़
बोधकथा: माँ-बाप का कर्ज़
क्या ये कभी चुकाया नहीं जा सकता?
कैसा है ये पितृ-ऋण, जो आम आदमी माता-पिता की सच्ची सेवा से भी चुका नहीं पाता?
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मिल गए बोतल वाले
मज़ेदार कहानी: मिल गए बोतल वाले
नशा बुरा है, तो बुरे सभी हैं| नशे में कौन नहीं है, मुझे बताओ ज़रा| किसे है होश, मेरे सामने तो लाओ ज़रा|
रोष, इन्दर, मुकेश, इंजीनियरिंग कॉलेज व हॉस्टल के किस्से
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मैं खुशी चाहता हूँ
“मैं खुशी चाहता हूँ,” एक आदमी ने कभी बुद्ध से कहा था|
चाइना पीक से नैनीताल को निहारते रोष को, बुद्ध दे जाते हैं खुशी और सुकून के राज़|
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ये भी रहेगा नहीं
बोधकथा: ये भी रहेगा नहीं
शाकिर ने फकीर को सिखा दिया कि इंसान के वक़्त का उसकी नेकी बदी से कोई लेना देना नहीं|
वक़्त का काम है बदलना|
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शराब पीने दे मस्जिद में
बोध कथा: शराब पीने दे मस्जिद में
कहाँ बैठ कर पी जाये शराब?
इसपर ग़ालिब, मीर, इकबाल, फराज़ और वसी की उर्दू शायरी लिए एक मज़ेदार कहानी
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शून्यता
क्या है शून्यता?
दिलचस्प ये है कि निशब्द को समझने-समझाने के लिए भी शब्दों की ज़रूरत पड़ रही है| कैसी प्रोग्रामिंग हो गयी है हमारी?
एक काव्यात्मक बोधकथा...
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सनी कैसे न?
आध्यात्मिक कहानी: सनी कैसे न?
बरसात की एक अँधेरी रात में कबीर अपनी पत्नी माई लोई को एक साहूकार के पास ले चला ताकि वो उसके साथ सोकर अपना कर्ज़ उतार ले