पेरेंटिंग टिप्स | Parenting Tips In Hindi
पेरेंटिंग टिप्स | Parenting Tips In Hindi
-
जीवन-दीक्षा
बच्चों के लालन-पालन के प्रश्नों में उलझी एक आध्यात्मिक कहानी
“जीवन-दीक्षा के आगे मेरी दीक्षा तुच्छ है, तेरी कृतियों पर मेरे हस्ताक्षर छोड़ देगी,” ये कह चित्रकार पिता ने अपने ही पुत्र को दीक्षा नहीं दी|
माँ-बाप न सिखाएँ, दिशा ने दें, तो बच्चे क्या सीख पाएँगे?
-
धनिया नारियल चटनी
धनिया नारियल चटनी कैसे बनाते हैं?
ईशा होश को फटाफट बन जाने वाली एक सरल, सस्ती रेसिपी सिखाती है, जो लगे रेस्तरां जैसी पर बदली भी जा सके।
-
धीरे करूँ या रोकूँ?
कार ड्राइविंग टिप्स वाली मज़ेदार कहानी: धीरे करूँ या रोकूँ?
एक ट्रैफिक पुलिसकर्मी अपने तरीके से समझाता है फर्क - धीरे करने और रोकने में
-
पाँच छोटे बन्दर
बच्चों की मज़ेदार कहानी: पाँच छोटे बन्दर
‘पांच छोटे बंदर’ नामक एक पुरानी नर्सरी कविता गाकर, रोष होश को पांच से एक तक की उल्टी गिनती सिखाता है|
-
फूटा पात्र
फूटा पात्र भी उपयोगी हो सकता है|
हम सब फूटे घड़े हैं, फिर भी उपयोगी होने का प्रयास कर सकते हैं।
आदर्श पात्र न बन पाने पर भी हमारे होने का औचित्य है|
-
बिज़नेस कैसे होता है?
मज़ेदार कहानी: बिज़नेस कैसे होता है?
ईशा रोष को रिश्तों का मनोविज्ञान और स्मार्ट व व्यवहार कुशल होना सिखाती है, पर कोई समाधान सम्पूर्ण नहीं...
-
बोझ
ज़्यादातर बोझ जिन्हें हम ढोते रहते हैं, वे बोझ मन के होते हैं|
दो बौद्ध भिक्षुओं की कहानी|
वृद्ध भिक्षु ने असहाय लड़की की मदद तो की, पर उसे वहीं छोड़ आया...
-
मसाला चाय
स्वादिष्ट मसाला चाय कैसे बनाते हैं?
मेहमानों को चाय पूछने की संस्कृति के साथ-साथ ईशा होश को देती है रेसिपी पारम्परिक मसालेदार भारतीय चाय बनाने की|
हेल्थ टिप्स और कुकिंग टिप्स पर बोधकथा
-
मीट मेरिनेट कैसे करें?
पाककला टिप्स पर कहानी: मीट मेरिनेट कैसे करें?
मरिनेट से स्वाद एकसार, रसीला व नर्म आता है|
पर एसिड, तेल, समय, मसाले का सही संतुलन चाहिए...
-
विदूषक की वापसी
मज़ेदार कहानी: विदूषक की वापसी
हाथी के चुटकुलों वाली हास्य कथा|
हाथी के बारे में होश की जिज्ञासाओं का जवाब हाथी के लतीफे सुनाकर देता है रोष|
-
हम काम किसलिए करते हैं?
बोधकथा: हम काम किसलिए करते हैं?
पैसे के लिए, या उस क़ाबलियत के लिए कि हम अपना वक़्त और पैसा अपने प्रियजनों पर खर्च कर सकें|
-
हाथी की बेड़ी
पेरेंटिंग कहानी: हाथी की बेड़ी
क्या बड़ों को प्रणाम करने से घर के क्लेश मिट सकते हैं?
कौरव कुलवधुएँ बड़ों का सम्मान करतीं, तो क्या महाभारत रूकती?
पृष्ठ 2 का 2