32x32taletown facebook inv 32x32taletown twitter inv 32x32taletown googleplus inv 32x32taletown youtube inv 32x32taletown flickr inv


Untitled बोधकथा: तुम पत्ता हो या जड़ (Tum Patta Ho Ya Jad)?

 

जीवन में आये लोगों की, एक पेड़ के हिस्सों से तुलना व उनका वर्गीकरण:

 

पत्ता लोगों, शाखा लोगों और जड़ लोगों में

पिछली टेलटाउन कहानी: ये भी रहेगा नहीं

तीन तरह के लोग” नामक एक ऑडियो धीर ने WhatsApp पारिवारिक चैट ग्रुप में भेजी थी|

इसमें लोगों की एक पेड़ के हिस्सों से तुलना का ज़िक्र था, जो कथित तौर पर टाइलर पैरी इस्तेमाल करता था, जब वह अपने जीवन में आये लोगों के बारे में सोचा करता था, चाहे वे उसके दोस्त हों, परिवार गण, परिचित, कर्मचारी या सह कार्यकर्ता, आदि|

वह उन सब पर अपनी पेड़-परीक्षा आज़माता, और उन्हें कुछ इस तरह वर्गीकृत करता:

पत्ता लोग

उसके जीवन में कुछ लोग पेड़ के पत्तों की तरह थे| वे एक ही मौसम के लिए वहाँ थे| वह उनपर निर्भर या भरोसा नहीं कर सकता था, क्योंकि वे कमज़ोर थे और केवल उसे छाया देने को वहां थे|

पत्तों की तरह, वे वहां इसलिए थे कि उससे जो ले सकते हैं, ले लें| और जैसे ही उसके जीवन में कोई झौंका या जाड़ा आये, तो वो निकल लें| वह उनसे नाराज़ नहीं था, उनकी फितरत ही ऐसी थी|

शाखा लोग

उसके जीवन में कुछ लोग पेड़ की शाखों की तरह थे| वे पत्तों से मज़बूत थे, लेकिन उनके साथ उसे सावधानी बरतनी पड़ती थी| मौसम-दर-मौसम वे उसका साथ देते, लेकिन जीवन में एक-दो तूफान आ जाएँ अगर, तो वह जानता था वह शायद उन्हें खो सकता था| अकसर, मुसीबत आने पर वे नाता तोड़ कर अलग हो जाते थे|

हालाँकि वे पत्तों से ताकतवर थे, फिर भी उनपर अपना पूरा भार डालने से पहले उसे उन्हें कसौटी पर कसना पड़ता था| अमूमन, वे बहुत ज़्यादा बोझ उठा नहीं पाते थे| लेकिन वह खफा इनसे भी नहीं था| इनकी फितरत से वाकिफ था|

जड़ लोग

अगर अपने जीवन में तुम कुछ ऐसे लोग पा जाओ, जो पेड़ की जड़ों जैसे हों, तो तुम कुछ खास पा गए, ऑडियो ने कहा|

पेड़ की जड़ों की तरह, इन लोगों को ढूँढना ज़रा मुश्किल है, क्योंकि ये दिखने की कोशिश नहीं करते| इनका एकमात्र ध्येय तुम्हें उठाये रखना है, तुम्हें एक मज़बूत और स्वस्थ जीवन जीने में मदद करना है| तुम्हारे पनपने में ही इनकी ख़ुशी है|

ये अपनी गोरी गाते नहीं फिरते, और दुनिया को बताते नहीं फिरते कि ये हैं| लेकिन भयंकर तूफान में ये तुम्हें संभाले रहेंगे| इनका काम ही है तुम्हें संभाले रखना, चाहे जो हो| तुम्हें खिलाना, पिलाना, तुम्हारी परवरिश करना|

अपने जीवन को देखो, ऑडियो ने कहा। कितनी पत्तियाँ, शाखाएँ और जड़ें हैं तुम्हारी? औरों के जीवन में तुम क्या हो?

जड़ों के लिए, प्रभु का धन्यवाद!

“मजबूर किया इसने मुझे सोचने पर, कि मेरे जीवन में मेरी कितनी जड़ें हैं?” धीर ने आगे पोस्ट किया था, “... और दूसरी ओर, कि मैं दूसरों के लिए क्या हूँ?"

“मेरे जीवन की गहनतम जड़ें... पा, माँ, रोष भैया| और नवीन जड़ें ... ईला, मान, नेहा, इना, भाभी ईशा, ये सब बच्चे और आप सब... सबको मेरे जनम का हिस्सा तो ऊपर वाले ने बनाया... लेकिन मेरी जड़ें बनने के लिए... शब्द नहीं हैं जो मेरी भावनाओं को परिभाषित कर सकें|”

“बोध गम्य!” जोश ने जवाब में ऑडियो के बारे में लिखा| “हमारी ताकत भगवान और परिवार में बसती है| वही हमारी जड़ें हैं|”

“उपमा सुन्दर है,” रोष ने भी जवाबी भेजी, “हालाँकि इसका विज्ञान कुछ डांवांडोल है| पत्ते भी बहुत महत्वपूर्ण होते हैं, क्योंकि उस फोटोसिंथेसिस (प्रकाश संश्लेषण) के बिना, जो वो करते हैं, न तो पेड़ की जड़ें पनप पायेंगी, न ही उसकी टहनियाँ|”

“पत्तियाँ पेड़ के जीवन का उद्देश्य भले ही न हों, उसके जीवन का साधन ज़रूर हैं| सूरज की ऊर्जा पाने और उसे परिवर्तित करके इस काबिल बनाने, कि पेड़ उसका इस्तेमाल कर सके, इस के लिए अगर पत्तियां वहां न हों, तो पेड़ न जी पायेगा, न विकसित हो पायेगा|”

“पत्तियाँ पेड़ को छोड़ती भी हैं, तो उसपर बहुत एहसान करती हैं| जीवन खींचती अगर वो उससे लटकी रहें, तो शरद में पेड़ की धमनियों में दौड़ता रस, जम कर, पेड़ को ही मार देगा|”

“और, हालाँकि पेड़ के जीवन में वो आती-जाती रहती हैं, पत्तियाँ कभी पेड़ को नहीं छोड़ती| पेड़ ही खुद को बचाने के लिए, उन्हें छोड़ देता है|”

“असल में, जड़ों के गहरे पैठने और शाखाओं के मज़बूत होने का एक अकेला कारण ही ये है कि पेड़ पत्तियाँ पैदा कर सके – ढेर सारी पत्तियाँ – जिन्हें संभाला और पोषित किया जा सके, ताकि पेड़ बीज पैदा कर सके| श्रेष्ठ बीज| जो अंकुरित होकर खुद जड़ पकड़ सके – और पत्तियाँ उगाने के लिए| ये ही इसका जीवन-चक्र है!”

“पेड़ को आखिरकार छोड़ देने के बाद भी, पत्तियाँ उसकी सेवा करना बंद नहीं करतीं| वे उसके आस-पास की भूमि को ढांप देती हैं, जिसमें हवा कैद होकर पेड़ के आस-पास की मिटटी का तापमान विनियमित (रेगुलेट) करती रहती है, और उसकी जड़ों को जमने से रोकती है|”

“यहाँ तक कि खुद गिरने और सड़ जाने के बाद भी, वे उसकी जीवन-दायिनी उर्वरक (फ़र्टिलाइज़र) बन कर सेवा करती रहती हैं – अतिरिक्त खनिज और पोषक तत्वों को, जिनकी पेड़ को ज़रूरत नहीं थी, धरती, और उसके भीतर के कीड़ों के पारिस्थितिकी तंत्र (इकोसिस्टम) में वापिस लौटाकर|”

“उनकी मौत और विघटन (सड़न) कीड़ों का पेट भरती है (जो पक्षियों का भोजन बनते हैं, जो पेड़ों के फूलों के सेचन (पोलीनेट) में मदद करते हैं, आदि) और पेड़ के आस-पास की मिटटी के वायु-संचारण में मदद करती है|”

“तो, पत्तियाँ जीती हैं पेड़ और उसके वातावरण की सेवा करने के लिए| पेड़ के लिए ज़रूरी कार्बन डाई ऑक्साइड को परिवर्तित करके, और ऑक्सीजन को रिहा करके, जिसकी ज़रुरत दूसरे जीवों को है| वे मरती भी हैं पेड़ और उसके वातावरण की सेवा करने के लिए| और मरने के बहुत देर बाद तक भी, उनकी सेवा ही करती रहती हैं|”

“तो पत्तियों पर निर्भर हो ही लो, क्योंकि ये इस उपमा में उकेरे गए स्वार्थी, कमज़ोर, गैर-भरोसेमंद, खुद में डूबे (आत्म केन्द्रित) व्यक्तित्व जैसी तो बिलकुल भी नहीं| ”

“प्रकृति का सब कुछ, हमारी दुनिया में किसी न किसी के अस्तित्व के लिए, महत्वपूर्ण है! तो, वो किसी और चीज़ से कम या ज़्यादा ज़रूरी नहीं|”

“लेकिन मैं तेरी भावना के आवेग से, और हम सब से जो जुड़ाव तू महसूस कर रहा है, उससे द्रवित हूँ| हम भी तुझे प्यार करते हैं, बच्चे| इतना कर देना मौला, कि इस बच्चे का हम में भरोसा, मैं कभी न तोडूं ...”

“ये जीवन के बारे में था, पा, विज्ञान के बारे में नहीं,” जोश ने जवाब में लिखा| “फलसफा देखो आप, वैज्ञानिकता नहीं|”

“जीवन भी विज्ञान है, जोश,” होश ने प्रतिक्रिया दी| “जीने की कला वैज्ञानिकता के बिना परवान नहीं चढ़ सकती| जियोगे, समझ जाओगे...”

“मेरी जड़ तो मेरा जीवनसाथी रोष है,” ईशा ने लिखा| “पा पूरे परिवार के लिए| दोनों का शुकराना| भाग्यशाली हूँ दोनों को पाकर| बच्चे भी मज़बूत हो रहे हैं, अपना सफ़र उन्होंने अभी शुरू ही किया है| मज़बूत जड़ें मिलीं उन्हें – दुआ कुबूल हो गयी|”

“जड़ कह के जड़ दिया?” रोष ने सताया उसे| “मेरे प्यारे पति... दु:ख कितना भी हो, खुशी तुम ही हो| गुस्सा जितना भी हो, प्यार तुम ही हो| रास्ता कोई भी हो, मंज़िल तुम ही हो| ख्वाब कोई भी हो, तकदीर तुम ही हो| अरमान कुछ भी हो, आरज़ू तुम ही हो| सवाल कुछ भी हो, जवाब तुम ही हो| यानि फसाद कुछ भी हो, सारे फसाद की ‘जड़’, ‘तुम’ ही हो..."

अगली टेलटाउन कहानी: छल्ला की कहानी

80x15CCBYNC4 टेलटाउन कहानियाँ Creative Commons License सिवाय जहाँ अन्यथा नोट हो, हमारी सब कहानियाँ क्रिएटिव कॉमन्स एट्रीब्युशन नॉन-कमर्शियल 4.0 इंटरनेशनल लाइसेंस के तहत प्रस्तुत हैं। इस लाइसेंस के दायरे से परे अनुमतियों के लिए हमसे सीधे संपर्क करें|