मज़ेदार कहानी: विदूषक की वापसी (Vidushak Ki Vapsi).
हाथी के चुटकुलों वाली हास्य कथा|
हाथी के बारे में होश की जिज्ञासाओं का जवाब हाथी के लतीफे सुनाकर देता है रोष|
पिछली टेलटाउन कहानी: महिला तर्क
होश और रोष ईशा के खाना परोसने का इंतज़ार कर रहे थे| होश अपने पिता के कन्धों पर चढ़ गया था और हाथी की सवारी करने का नाटक कर रहा था|
रोष भी चंचल मूड में था| बाप-बेटा ईशा के चारों ओर घूमते हुए, धरती पर पाँव पटकते, हाथी की आवाजें निकालते, ईशा के लिए काम करना असंभव किये दे रहे थे|
आज किंडरगार्टन में होश को हाथियों के बारे में सिखाया गया था, और जब से रोष काम से लौटा था, वो उनके बारे में और जानने के लिए उससे सवाल पूछे जा रहा था|
लेकिन थका देने वाले लम्बे दिन के बाद, अपने बेटे के पास वापिस लौट कर, रोष के अन्दर का जोकर जाग गया था| और होश के सवाल-जवाब का सफर ठहाकों से गूँज रहा था|
अब रोष उसके सवालों का जवाब हाथी के उन चुटकुलों से दे रहा था, जो 1960 के दशक में बड़े प्रचलित थे|
दोनों लड़के ऐसी-ऐसी हरकतें कर रहे थे कि ईशा की आँखों से आँसू बह रहे थे, हालाँकि बे प्याज़ काटने से कम, और उसके खिलखिलाने से ज़्यादा निकले थे|
“पा,” होश अंग्रेज़ी में पूछ रहा था| “कौन है जो सलेटी है, और जिसके पास चार टाँगें और एक ट्रंक है? (सूंड को अंग्रेज़ी में ट्रंक कहते हैं)
“लम्बी छुट्टी पे जाता चूहा,” रोष ने जवाब दागा|
“ह्म्म्म...” होश ने सोचकर फिर पूछा| “तो कौन है जो भूरा है, और जिसके पास चार टाँगें और एक ट्रंक है?”
“लम्बी छुट्टी से वापिस आता चूहा| बहुत धूप-स्नान से रंग भूरा पड़ जाता है न!”
“पा,” होश हँस पड़ा| “वो हाथी है! मुझे बताओ, हाथी बड़े, सलेटी और झुर्रीदार क्यों होते हैं?”
“अगर छोटे, सफ़ेद और गोल होते,” रोष ने हैरत से आँखें मटकाते हुए कहा, “तो फिर वो हाथी कहाँ, एस्प्रिन की गोली होते न!”
“पा!” होश ने फिर दोहराया| “हाथी पर हमेशा झुर्री सलवटें क्यों होती हैं?”
“क्योंकि उन्हें प्रेस करने में देर बहुत लगती है| तू एक की इस्त्री करके देख|”
“मज़ाक मत करो, पा| मुझे हाथियों के बारे में बताओ| हाथी के पास ऐसा क्या है, जो किसी दूसरे जानवर के पास नहीं?”
“हाथी का बच्चा|”
“वो हाथी के बच्चे को बड़ा कैसे करते है, पा?”
"खिला पिला कर!"
“पा... हाथी कहाँ पाए जाते हैं?”
“ये तो इस बात पे निर्भर करता है, कि खोये कहाँ थे|”
“नार्थ पोल (उत्तरी ध्रुव) पर किस तरह के हाथी रहते होंगे?”
“बर्फीले|”
“माँ! हँसना बंद करो! पा, ऐलीफेंट एक दूसरे से कैसे बात करते हैं?”
“ऐलीफोन से|”
अपनी माँ को हँसी से लोटपोट होता देख, होश भी हँसने लगा| वो जान गया था, कि अब जबकि उसके पिता इस मूड में हैं, तो आज उनसे सीधा जवाब कोई नहीं मिलने वाला|
“ठीक है,” वो भी हँसता हुआ, उन्हीं के मूड में आ गया| “8 पैर, 2 सूंड, 4 आँखें, और 2 पूँछ किसके होते हैं?”
“दो हाथियों के|”
“तो 6 पैर, 2 सूंड, 3 कान, और 4 हाथी-दांत किसके होते हैं?”
“स्पेयर पार्ट्स वाले हाथी के|”
“ह्म्म्म... ओके, कौन है जो बड़ा है, सलेटी है, और गोल-गोल घूमता है?”
"रिवोल्विंग डोर (स्वचलित घूमते दरवाज़े) में फंसा हुआ हाथी|”
"सलेटी, पीला, सलेटी, पीला, सलेटी, पीला, सलेटी, पीला ... बोलो क्या?"
"अपने मुंह में एक डेज़ी (गुलबहार का फूल) लिए, चट्टान से लुढ़कता हाथी|"
"सलेटी, पीला, सलेटी, पीला, धम्म| सलेटी, काला, नीला... सलेटी, काला, नीला ... ?"
"अपने मुंह में डेज़ी लिए, चट्टान से लुढ़कता हाथी, जो पत्थर से जा टकराया|”
“हाथी पेड़ पे क्यों चढ़ा?”
“आम खाने|”
“पर पेड़ तो सेब का था?”
“मालूम है| हाथी अपना आम साथ लाया था|”
“बत्तखों के पैर चपटे क्यों होते हैं?”
“ताकि वो पैर पटक-पटक कर जंगल में आग बुझा सकें|”
“और हाथियों के पैर इतने बड़े क्यों होते हैं?"
"ताकि वो सुलगती बत्तखों को दबा के उनकी आग बुझा सकें|”
“हाथी लोगों को कुचलते क्यों हैं?”
“क्योंकि उनको तलवों में गुदगुदी अच्छी लगती है|”
"कौन सा खेल खेलना हाथियों को सबसे ज़्यादा पसंद है?"
"स्क्वाश!"
“मखौल करना बंद करो रोष,” ईशा ने गीली आँखें लिए विनय की, “और बच्चे के सवालों के ठीक-ठीक जवाब दो|”
“ओके,” उसने गंभीरता से ऐसे सिर हिलाया, मानो अपनी काल्पनिक सूंड हिला रहा हो|
“लोग हाथी पकड़ते कैसे हैं, पा?”
“दोनों हाथों से पकड़ना ज़्यादा सुरक्षित रहेगा|”
“रोष!” ईशा ने डांटा| उसे साँस लेने में दिक्कत हो रही थी|
“ओके, ओके,” रोष ने उसे खुश करने के लिए सुर बदला| “अलग-अलग लोग उन्हें अलग-अलग तरीके से पकड़ते हैं| ये इस पर निर्भर करता है कि आप प्रोग्रामर हो या खगोलविद|”
“खगोलविद?" होश पेशोपेश में था। "वो हाथी कैसे पकड़ता है?"
“एक दूरबीन, माचिस की डिब्बी और छोटी चिमटी से,” रोष ने कहा| “वह जंगल में जाता है, और हाथी दिखाई पड़ने पर, दूरबीन उलटी करके, उससे हाथी को देखता है| हाथी इतना छोटा दिखाई पड़ता है, कि छोटी चिमटी से वह आसानी से उसे उठाकर माचिस की डिब्बी में डाल सकता है|”
"और प्रोग्रामर हाथी को कैसे पकड़ता है?" होश हँसा|
“वह हवाई जहाज़ से केप टाउन जाता है और पूरब की ओर मुड़ता है,” रोष ने कहा| “सागर तट पर पहुँचकर, वह थोड़ा उत्तर की ओर जाकर, फिर पश्चिम की तरफ हो लेता है| जब तक हाथी दिखाई नहीं देता, वह यही दोहराता रहता है| और हाथी दिखते ही वह उसे लपक लेता है|”
“और हाथी न दिखाई दे तो?”
“तो उसे हाथी नहीं मिलता| अनुभव मिलता है|”
“तो फिर एक अनुभवी प्रोग्रामर हाथी को कैसे पकड़ता है?”
“उसी तरह, लेकिन खोजना शुरू करने से पहले, वह एक हाथी पहले से ही जिब्राल्टर में रख देता है|”
“क्यों?”
“ताकि हाथी न हों तो वह भूमध्यसागर में न गिर जाए|”
“लेकिन हाथी को वह माचिस की डिब्बी में डालेगा कैसे?”
“माचिस की सारी तिल्लियाँ निकाल कर, मूर्खराज!”
“मूर्खराज? आपका मतलब गजराज! ..."
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