अरेबियन नाइट्स किस्से: अली बाबा और 40 डाकू 14 (Ali Baba Aur 40 Daku 14)
क्या खौलता पानी डालकर मरजीना लुटेरे मार सकती थी? क्या उबलते पानी से आदमी मर सकता है?
जलने की 6 डिग्रियों के बारे में जानें
पिछली कहानी: अली बाबा और 40 डाकू 13
ये भाँप कर कि वो जीत रही है, ईशा तर्क को आखिर तक ले गयी|
“ये चोर बेवकूफ नहीं हैं,” उसने कहा| “खूब प्रशिक्षित आतंकवादी हैं| हरदम खतरों से खेलते| रोज़ाना दूसरों की हत्याएँ करते, उन्हें लूटते| हरदम खून बहाना इनका धन्धा है| ये डर के जम जाने वालों में से नहीं|”
“न ये उनमें से हैं, जो अपने भाइयों को दर्द में चीखते चिल्लाते सुनकर भी, खौलते पानी से बस अपनी सिकाई होने का ख़ामोशी से इंतज़ार करते रहेंगे|”
“और उनका मुखिया| वो इस सारी उखाड़-पछाड़ में बस खर्राटे तो नहीं मारता रहेगा|”
“अगर उसने बाकी घरवालों को जगा भी लिया,” होश ने बातचीत में शामिल होते हुए कहा, “और वे सब कुशलता से सभी डाकुओं पर एकसाथ, एकदम, चुपचाप, ज़रूरत-भर का उबलता पानी डाल भी सके, तो भी इससे लुटेरे केवल जलेंगे ही, तुरंत सारे के सारे मारे तो नहीं जायेंगे| चौथी डिग्री के जले के बाद भी वे बच सकते हैं|”
“चौथे डिग्री का जलना क्या होता है?" ईशा ने पूछा| "मैंने तो केवल जलने की तीन डिग्री सुनी हैं|”
"दरअसल, जलने की 6 डिग्री होती हैं," होश ने समझाया। “ज़्यादातर लोगों ने तो केवल पहली, दूसरी और तीसरी डिग्री के बारे में ही सुना होगा, क्योंकि चौथी, पाँचवीं और छठी डिग्री के जले का बच पाना बहुत मुश्किल है|”
"डिग्री माने?" जोश ने पूछा। "यानि कितना, जैसे हम तापमान या कोण मापते हैं डिग्री में, है ना?"
"एक तरह से," होश ने जवाब दिया। "जले की चोट के बारे में अकसर डिग्री में ही बात की जाती है| लेकिन उनका पैमाना केवल 1 से 6 तक जाता है, कोणों की तरह नहीं, जो 0 से 360 तक जाते हैं|”
“जले की डिग्री से मतलब होता है कि जला कितनी बुरी तरह है| सही इलाज जलने की गंभीरता के सही आकलन पर निर्भर करता है|”
“लोग कैसे अपने जले का सही आकलन कर सकते हैं, या उसकी गंभीरता ठीक से जान सकते हैं?” जोश ने पूछा| ‘वे डॉक्टर थोड़े ही हैं|”
“फर्क देखना मुश्किल नहीं है,” होश ने उत्तर दिया, “अगर पता हो कि देखना क्या है|”
“पहली डिग्री के जले देखने में आमतौर पर लाल और खुश्क होते हैं, और दर्दनाक भी| ये थोड़ा फूल जाते हैं, और दबाने पर सफ़ेद पड़ जाते हैं| जले के ऊपर की त्वचा एक दो दिन में केंचुली की तरह उतर जाती है| ये ज़ख्म हफ्ते भर में ठीक हो जाते हैं| ऐसा इसलिए क्योंकि इनमें त्वचा की केवल बाहरी परत, एपिडर्मिस, ही जलती है|”
“दूसरी डिग्री के जले गाढ़े, बहुत दर्द-भरे होते हैं जिनमें त्वचा में अमूमन फफोले पड़ते हैं| त्वचा बहुत लाल और धब्बेदार हो जाती है, और काफी सूज भी सकती है| ये जले अधूरी या पूरी गहराई के हो सकते हैं|”
"आंशिक मोटाई के घाव में पूरे एपिडर्मिस के अलावा, डर्मिस की केवल ऊपरी परतें ही शामिल होती हैं| डर्मिस बाह्य चर्म और नीचे के ऊतकों (subcutaneous tissues) के बीच की त्वचा को कहते हैं| तो इस जले में त्वचा गुलाबी या लाल और गीली दिख सकती है। दबाने पर इस ज़ख्म में भी त्वचा सफ़ेद हो जाती है| ठीक होने में 2-3 हफ्ते लग सकते हैं, लेकिन आम तौर पर ठीक होने पर जलने का कोई निशान बाकी नहीं रहता|"
"पूर्ण मोटाई के घाव में पूरे एपिडर्मिस के अलावा डर्मिस भी लगभग पूरा नष्ट हो जाता है। जहाँ जला है, वहाँ अभी भी अनुभूति रहती है, मगर ज्यादा नहीं। घाव लाल या सफेद हो सकता है, लेकिन दिखता सूखा है। दबाने पर चमड़ी या तो बहुत कम सफ़ेद होती है, या होती ही नहीं| इन्हें ठीक करने के लिए शल्य-चिकित्सा (सर्जरी) और स्किन ग्राफ्टिंग की जरूरत पड़ती है।"
"तीसरी डिग्री के जले, सूखे और सफेद या काले दिखते हैं| हैरत ये कि, इन ज़ख्मों में दर्द या तो बिलकुल होता नहीं या बहुत कम होता है, क्योंकि इनमें त्वचा की तंत्रिकाओं और ऊतकों (tissue) को हानि पहुँची होती है।"
"चूंकि इनमें त्वचा की सभी परतें नष्ट हो चुकी होती हैं, तो ये जले देखने में चमड़े जैसे मालूम पड़ते हैं, और दबाने पर भी सफ़ेद नहीं पड़ते| इन्हें तुरंत उपचार और ग्राफ्टिंग की जरूरत होती है, और ठीक होने में भी इन्हें बहुत वक़्त लगता है|”
"चौथी डिग्री में जले इलाके की, सारी त्वचा के अलावा उसके अन्दर छिपी मांसपेशियों, पट्टों (tendon), बंधनों (ligament) और हड्डी तक में नुकसान पहुँच सकता है| अकसर ये घाव जानलेवा होते हैं। अगर फोर्थ डिग्री के जले से कोई मरीज़ बच जाये, तो उसके लिए स्किन ग्राफ्टिंग आवश्यक होती है।"
"पांचवीं और छठी डिग्री के जले में, नुकसान सीधा हड्डी तक पहुँचता है, और हड्डी के ऊपर जो कुछ भी होता है, वह पूरी तरह नष्ट हो चुका होता है| आधुनिक चिकित्सा के क्षेत्र में प्रगति के कारण, आज हम इनके बाद भी जीवित बचाये जा सकते हैं, लेकिन ऐतिहासिक रूप से इस तरह के जले केवल शव परीक्षा के दौरान ही पता चला करते थे।"
"दिलचस्प बात ये है कि, आम तौर पर शरीर की जली त्वचा को ठीक करने का ज़िम्मा आखिरकार प्लास्टिक सर्जन का होता है। वे, और अन्य डॉक्टर, जले क्षेत्रफल के शरीर की कुल त्वचा क्षेत्रफल के अनुपात प्रतिशत के साथ-साथ अभी भी जले की डिग्री की इस प्रणाली का इस्तेमाल करते हैं।"
"हर हाथ पर शरीर की लगभग 9% त्वचा होती है, और इतनी ही त्वचा से हमारा सिर और गर्दन ढके होते हैं| हर टांग पर 18%, और धड़ पर भी आगे और पीछे 18-18% त्वचा होती है|”
“अगर शरीर का 20% तक थर्ड डिग्री का जला है, तो तत्काल चिकित्सा से ज़्यादातर लोगों को बचाया जा सकता है। बूढ़े और शिशु, हालाँकि, 15% त्वचा का नाश शायद झेल न पायें| खैर, जले के आकार पर ध्यान दिए बिना, सभी सेकंड और थर्ड डिग्री बर्न्स को तत्काल चिकित्सा दी जानी चाहिये|”
“कुछ साल पहले,” रोष ने भी चर्चा में शामिल होते हुए कहा, “एक 24 वर्षीय अमेरिकी, डेविड एलन किरवान, सेलेस्टीन (Celestine) पूल में सर के बल कूद गया था अपने दोस्त का कुत्ता बचाने, जो आवेश में पूल में जा कूदा था और अब वहाँ अपने बचाव के लिए मिमिया रहा था|”
“अब ये तलैया है 100 डिग्री सेल्सियस या 210 डिग्री फेरनहाइट पर उबलते गर्म पानी का एक झरना, जो कि येलोस्टोन नेशनल पार्क में फाउंटेन पेंट पॉट नामक थर्मल क्षेत्र में है।"
"उसे उसमें से तुरंत बाहर खींच निकाला गया, लेकिन तब तक वह अंधा हो चुका था। जब पार्क के एक दूसरे सैलानी ने उसका एक जूता निकालने की कोशिश की, तो उसके साथ उसकी चमड़ी भी निकल आयी (जो पहले से ही हर जगह छिल-छिल कर अलग होने लगी थी)|"
"सिर समेत, उसका 100% शरीर 3 डिग्री जलने से पीड़ित हुआ था, और वो साल्ट लेक सिटी अस्पताल में अगली सुबह मर गया। कुत्ता मूसी भी, जो इस सारी आफत का कारण बना था, मारा गया|”
“तो अब से कुछ दशक पहले तक, सिर्फ आधे शरीर पर भी 3rd डिग्री का जला अकसर घातक सिद्ध होता था| लेकिन अब तो, शरीर के 90% जल जाने के बाद भी लोगों को बचाया जा पा रहा है, हालाँकि अकसर उनमें स्थायी अपंगता और निशान बाकी रह जाते हैं|"
परिवार अब शांत था, यह सब जानकारी पचाता, और सोचता कि अरेबियन नाइट्स किस्से में मरजीना ने इन हालात में क्या किया होगा|
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