कार केयर टिप्स पर ज्ञानवर्धक कहानी: तेल कैसे जाँचें (Tel Kaise Janchen)?
क्या देखें, कहाँ देखें? तेल भरें कैसे? कौनसा?
नियमित जाँच न करने से इंजन का क्या होगा?
पिछली टेलटाउन कहानी: कार बैटरी की देखभाल
“पा,” होश ने पूछा, “वो बैटरी के बगल में क्या है, इंजन के पास?”
“उसे डिपस्टिक कहते है,” रोष ने जवाब दिया| “इंजन ऑइल कम तो नहीं है, ये जाँचने में इस्तेमाल होती है|”
“वो कैसे?” होश की जिज्ञासा जागी|
“आसान है,” रोष ने उत्तर दिया| “तुम्हारी गाड़ी को तेल चाहिए या नहीं, ये जानना हो, तो बस ये कदम उठाओ:”
“ध्यान रहे कि तेल चेक करने से पहले इंजन ठंडा हो, या कम से कम पिछले दस मिनट से बंद रहा हो| बेहतर ये भी होगा कि तेल जाँचते हुए तुम्हारा वाहन समतल धरती पर पार्क हो|”
“हालाँकि कुछ कारों के लिए, कार बनाने वाले ये सलाह देते हैं कि इंजन गर्म कर लेने के बाद तेल का परीक्षण करना चाहिए| अपनी कार गूगल कर लो, या अपनी कार मैन्युअल में ये चेक कर लो कि तेल जाँचना कब है|”
“बोनट (या हुड) उठाओ, डिपस्टिक बाहर खींचो| किसी बुर-हीन कपड़े या कागज़ पर इसे पोंछ कर साफ़ कर लो| फिर डिपस्टिक को उसकी ट्यूब में पूरी तरह वापिस डाल दो, और पल दो पल इंतज़ार करो|”
“अगर अन्दर जाते हुए डिपस्टिक रास्ते में कहीं अड़ जाए, तो इसे ज़रा घुमा लो| जिस पाइप में ये जाती है, वो घुमावदार होता है| जैसे इसे बाहर निकाला था, अगर वैसे ही अन्दर डालो, तो घुमाव की दिशा में धातु की पत्ती अपने आप घूमती जाती है|”
“अब डिपस्टिक फिर बाहर खींचो| पत्ती के निचले सिरे पर लगे हुए निशानों के बीच तेल की परत को देखो| देखना ये है कि तेल की हालत कैसी है, और वह डिपस्टिक पर कितनी ऊपर तक आ पाता है|”
“हर डिपस्टिक पर तेल का सही स्तर बताने का कोई न कोई तरीका होता है, चाहे वो दो बारीक छेद हों, या L और H अक्षर (अंग्रेज़ी में लो व हाई, यानी कम और ज़्यादा), या शब्द MIN और MAX (न्यूनतम और महत्तम), या सिर्फ पत्ती पर ही गुदे हुए काटों का इलाका हो|”
“निशानों के बीच तेल कहाँ तक पहुँचा, ये बताता है कि तुम्हारे इंजन में अभी कितना तेल है| अगर ये पूरे के निशान के पास हो और भूरा या हल्का काला हो, तो तेल ठीक है|”
“अगर ये बहुत काला नहीं है लेकिन खाली के निशान के पास है, तो और तेल भरने की ज़रूरत है| अगर ये बहुत काला है, तो तेल कम हो या ज़्यादा, उसे बदलने की ज़रूरत है|”
“अगर तेल में हल्का दूधिया दिखे, तो इसका मतलब है कि कूलैंट (शीतलक) इंजन में रिस रहा है| इसके लीक होने का अंदेशा हो, तो कार टो करवा दो|”
“तेल में धातु के टुकड़े दिखना इंजन में अंदरूनी चोट की निशानी हो सकती है| अगर इन दोनों बातों में से कोई भी नज़र आये, तो कार तुरंत मैकेनिक तक पहुँचवाओ|”
“आमतौर पर, तेल का तल न न्यूनतम निशान से नीचे, और न अधिकतम के निशान से ऊपर होना चाहिए| तेल थोड़ा-थोड़ा करके भरना चाहिए, क्योंकि ज़रूरत से ज़्यादा तेल भरना भी इंजन के लिए नुकसानदायक होता है|”
“डिपस्टिक वाली उस छोटी सी ट्यूब में तेल भरना थोड़ा मुश्किल नहीं है?” होश ने पूछा|
“उसमें तेल थोड़ी डालते हैं,” रोष हँसा| “इंजन के ऊपर वाले सबसे बड़े हिस्से पर एक घुमाने वाला ढक्कन खोज| या तो उस पर कुछ नहीं लिखा होगा, या तेल की बूँद का चिन्ह होगा, या ‘तेल’ या ऐसा ही कुछ लिखा होगा|”
“हो सकता है वो ये भी बताये कि तुम्हारी कार में तेल किस ग्रेड का इस्तेमाल होना चाहिए| 5W 30 या 10W 40 जैसे नंबर तेल के ग्रेड होते हैं| ढक्कन घुमाओ और ज़रूरत भर, सही तेल भर लो|”
“पहले आधा पऊया डालो| फनल का उपयोग बिखरने से बचाता है| एक-दो मिनट रुक कर डिपस्टिक फिर चेक करो| अगर तल न्यूनतम के पास या उससे नीचे है, तो बाकी का पऊया भी डाल दो|”
“अगर इंजन लीक न करता हो, तेल न जलाता हो, और तेल तुम लगातार चेक करते रहो, तो शायद ही कभी एक बार में एक पाव तेल से ज़्यादा डालने की ज़रूरत पड़े|”
“तेल भरने के बाद, मुहाने पर उसकी टोपी ठीक से कस दो| डिपस्टिक को भी उसकी म्यान में पूरी तरह वापिस डाल दो| बस हो गया!”
“इंजन आयल कितनी बार जाँचना चाहिए, पा?” होश ने पूछा|
“अगर लीक नहीं है, तो महीने में एक बार काफी है,” रोष ने जवाब दिया| “लीक हो, तो लगातार चेक करते रहना चाहिए| कि तेल काफी है, दूषित तो नहीं है|”
“तेल इंजन के अन्दर घर्षण कम करता है, और उसका चलना आसान बनाता है| चेक करने पर, तेल अगर बहुत गन्दा हो या उसमें पेट्रोल की बास आये, तो उसे बदल देना चाहिए|”
“कुछ यूरोपियन वाहनों में तेल की डिपस्टिक होती ही नहीं| अगर अपनी गाड़ी में तुम्हें ये न मिले, तो तेल चेक करने का सही तरीका ओनर मैन्युअल में देख लो|”
“डिपस्टिक कहाँ है, यह इस बात पर भी निर्भर करता है कि कार रियर-व्हील ड्राइव है या फ्रंट व्हील ड्राइव| मसलन, फ्रंट-व्हील ड्राइव में तुम्हारी डिपस्टिक इंजन के अग्रभाग के आस-पास कहीं होनी चाहिए|”
“कितना काला बहुत काला होता है, पा?” होश ने बात काटी| “मुझे कैसे पता लगेगा कि यह बदलने लायक गन्दा हो गया है?”
“तेल बहुत जल्दी काला हो जाता है,” रोष उसके बुद्धिमानी भरे सवाल पर मुस्कुराया, “लेकिन उससे उसकी गुणवत्ता (क्वालिटी) पर कोई फर्क नहीं पड़ता| अपने अंगूठे और तर्जनी के बीच ज़रा सा लेकर मसलो| अगर गन्दा दाग-सा दिखे, तो उसे शायद बदलने की ज़रूरत है|”
“और मुझे इंजन ओइल मिलेगा कहाँ से?” होश ने पूछा|
“पेट्रोल भरवाने अगली बार पेट्रोल स्टेशन रुको, तो वहीं से खरीद सकते हो,” रोष ने जवाब दिया| “या ऑटो सप्लाई स्टोर, सुपरमार्केट, डिस्काउंट स्टोर, और बड़े बाज़ारों में मिल जाएगा|”
“अगर मैं तेल चेक करना या बदलना भूल जाऊँ तो क्या होगा?” होश ने कहा|
“मोटर ऑइल को अपनी गाड़ी के इंजन के प्राण की तरह समझो| इंजन के आंतरिक चलने वाले पुर्ज़ों को लुब्रिकेट (चिकना) रखता है तेल, और उन्हें फटाफट घिस जाने से बचाता है| कचरे का जमाव रोक कर इंजन को साफ रखने में मदद करता है, और उसे बहुत ज़्यादा गर्म भी नहीं होने देता|”
“इसे नियमित रूप से जाँचते रहने से गाड़ी स्वस्थ रहती है, सुचारू चलती है और इंजन अच्छी माइलेज देता है| ये तेज़ मासिक चेक खुद ही करके तुम बहुत पैसे बचा सकते हो|”
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